आज़ादी
हो गई है पीड़ पर्वत सी
पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से अब एक नई गंगा
निकलनी चाहिए
आज ये दीवार पर्दों की तरह हिलने लगी
शर्त मगर ये थी
के बुनियाद हिलनी चाहिए
हर गली मे हर शहर मे हर नगर मे हर गाँव मे
हाथ लहराते हुए
हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ़ हंगामा करना मेरा मकसद नही
मेरी कोशिश ये है
के ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने मे बुझे
तो तेरे सीने मे जले
हो कही भी वो आग
आग जलनी चाहिए
कब तक रोकोगे
मुझको टोकोगे
बंदिश ये ज़ालिम
मैं तोड़ आऊंगा
कब तक यूँ झेलें
बदज़ौक झमेले
बहरों के मेले
अंधों के रेले
बादल को भी है
बिजली गिरानी
हवा को ज़िद है
बनना तूफ़ानी
अब चाहे जो हो
हमने है ठानी
हमको है अपनी
दुल्हन बनानी
हो……..
आज़ादी (8 times)
खून इंक़लाब का
और मेरे ख्वाब का
कब तक रुक पाए
इसको है बहना
बेढंग से हम है
पर सासों मे दम हो
हमे आता नही है
औकात में रहना
बादल को भी है
बिजली गिरानी
हवा को ज़िद है
बनना तूफ़ानी
अब चाहे जो हो
हमने है ठानी
हमको है अपनी
दुल्हन बनानी
हो……..
आज़ादी (8 times)