देश एक ऐसा
फ़िज़ाओं से सुना था
कहानियों ने कहा था
एक जहाँ भी था ऐसा
सर्व जग वांछित
जग जिसे कहता
सोने की चिड़िया
ऐसे देश को
हूँ मैं ढूंढता
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जहाँ रोशनी मिली संसार को
जहाँ जन्मी है सभ्यता
स्वर्णिम अतीत के स्मरण में
हूँ मैं विलीन, यही लक्ष्य, कल्पना
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जहाँ ना होती सांझ कभी थी
जहाँ की माटी थी सोने सी
देश ऐसा मैने सुना था
कहानियों ने ऐसा कहा था
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एक समय फिर ऐसा आया
काले बादलों का साया छाया
घने बादल में लगता है जैसे
छिन गयी है रोशनी तुझसे
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धर्म के नाम पे बाँटा था तुझको
पल पल हर पल काटा था तुझको
सोया रहा मैं ना जाने कहाँ पे
खो गया वो मेरा देश कहीं पे
आज मैं जागा हूँ
खुदको पहचाना हूँ
उस अधूरे सपने को
अब मैं जीने आया हूँ
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जहाँ ना होगी सांझ कभी भी
जहाँ की माटी हो सोने सी
देश है मुझे अब वो दिखता
कहानियों ने सही कहा था
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