है ये गुलिस्ताँ
है ये गुलिस्ताँ,कहा है जिसे हमने हिन्दुस्तान
है ये अपना जहाँ,नज़र में है ये अज़ीम-ओ-शान
इसके दामन की खातिर हाज़िर है अपनी जान….
इन दो लफ़्ज़ों में होती है बयान इसकी दास्तान
वनडे मातरम…..-4
है ये गुलिस्ताँ,कहा है जिसे हमने हिन्दुस्तान
है ये अपना जहाँ,नज़र में है ये अज़ीम-ओ-शान
हमने एक ख्वाब देखा है
गुलशन आफताब देखा है
नम आनंखें पूछेंगी जो बातें
उन बातों का जवाब देखा है
तो दिल के तार जोड़ो टम
बातों से बात जोड़ो तुम
जो सपना देखा है सच कर जायें…..
वनडे मातरम…..-4