एक सवाल
कहते थे एक आसम्मान है
जहाँ जीते थे हम सभी
ना कोई भी गुम था
जब रहते थे यहाँ एक साथ
हंसते थे हम रोते थे
साथ साथ हम मिलके जीते थे
फिर क्यूँ है यह बेबसी
कभी धर्म के वास्ते कभी जात पे
छोड़ दो इन्हे इंसानियत के वास्ते
छोड़ दो तुम यह दुश्मनी
दोस्ती का हाथ थाम लो
एहसास तुम करो इस बात को
देर ना हो जाए वक़्त से
महसूस तुम करो
इन मासूमों के आँसुओं में एक दर्द है छुपा