O maa
सुबह की पहली किरण
खोले पंख उद चले थे हम
शाम हुई लौटे नही
जाने किस डाल पे यूही पड़े थे हम
दूर भले हम है सही
राह मगर भटके नही
परवाज़ अपनी तेरी ही और रही
ओ मा……
ओ मा
ओ मा
जाने कहाँ ले आई हवा
उड़ चले, था होश कहाँ
उड़ते फिरते अरमानो की मचानो पे
बादलों की पतंगे काटी है उड़ानो से
आए याद मगर
सुखी डाल वो जिसपे
थे फूल दो चार
नाता जनम का ना सही
भँवरा तितली कोयल कोई
खुश्बू पेड़ की छूटे ना कभी
ओ माआ…….
ओ मा
ओ मा