आज़ादी
(Voice of Netaji Subhash Chandra Bose)
Verse 1:
आँखों में लाखों सपने लिए,
धरती तले भी फ़ैज़ मिले,
कुद्रट की आशाओ में,
हर दिल की धड़कन हम सुने,
तीन रंग में ही जीवन खिले.
चैन आसुओं में ही जब मिले,
धरती ही अपनी मंज़िल बने,
आशाओ से धड़कन मिले,
साँसों में ही जीवन चले,
आसमान छुके हासिल किए…
Chorus:
आज़ादी! आज़ादी! आज़ादी! आज़ादी!
Verse 2:
अंबर को हासिल हम कर सके,
अग्निपरीक्षण भी हम दिए,
गगन को चरणो के तले,
आगोश में हम बढ़ चले,
आज़ादी में कुर्बान हम हुए…
Chorus:
आज़ादी! आज़ादी! आज़ादी! आज़ादी!
(Voice of Netaji Subhash Chandra Bose)
Verse 3:
धरती तले भी जन्नत मिले,
अटूट रहे हर सपने जुड़े,
आज़ादी की अग्नि जले,
पवन के विरुढ़ हम बढ़ चले,
आज हम एक बन के रहे.
Chorus:
आज़ादी! आज़ादी! आज़ादी! आज़ादी!
आज़ादी! आज़ादी! आज़ादी! आज़ादी!
(Voice of Netaji Subhash Chandra Bose)