आज़ादी (Freedom) – The call of the Awakened
वो बीज जो थे बिखरे धरा पर कभी
हो जाएँ खड़े बनकर वृक्ष विराट अभी
है हवा खुली, आसमाँ अनंत, और वो शीतल जल यहीं
बस खोल दो ये पट और बंद सी ये आँखें अभी
not just a word, it’s a dream
it’s a sword, it’s a beam
a beam of light, that gives us might
we are the freedom that we crave
our mind alone is the slave
to the thoughts that deny
our freedom to fly
आज़ादी – आसमाँ सा खुला एक माहौल
ईमानदारी और मेहनत हों जिसकी नींव पर
jealousy और द्वेश से कहीं उपर
आत्मविश्वास और प्रेम के जैसे लगे हों पर
अब और नहीं बस स्कूलों में बजते “हम होंगे कामयाब” और “वन्दे मातरम”
और कुछ irrational सी वो बातें
जिन्हें कहे जा रहे हैं हम – हमारी संस्कृति, संस्कार, customs and traditions
आज़ादी – बस विचारों की ही नहीं , कुछ कर भी अब गुज़रें हम
वन्दे मातरम..वन्दे मातरम (background choir vocals)
दिन वो एक था के टूटा हुआ था ये दिल मेरा
दिन ये आज है के मिट चुके हैं कई निशान-ए-ग़म
गुंजाइश बाकी है लेकिन इस वक़्त भी
ज़ंजीरें अभी भी हैं , ग़ैर खुद से हुए हैं हम
वन्दे मातरम..वन्दे मातरम (background choir vocals)
ज़मीन के एक टुकड़े पर खिंच गई हैं लक़ीरें कई
मज़हबों के कितने चोगे ओढ़े हुए हैं हम
सहूलियातों के हिसाब से जो किया जाए customize मन चाहे जैसा
huh .. वो धर्म कैसा और वो खुदा भी कैसा
किसी और जैसा बनने की चाह में
खुद को ही खोते जेया रहे हैं हम
अँधा अंधे के सहारे चले जा रहा हो जैसा
आज धर्म रह गया बस ऐसा
हर शक़्स है अद्वितीय , है सबकी अपनी एक जिग्यासा
हों स्वतंत्र हम , धर्म नहीं हो भीड़ की एक अभिलाषा
अब बस और नहीं ये जाती-पाती और ये भाषा
Oh yeah ! Corruption, terrorism, lots of tension – and ofcourse – pollution !
I wish someone had a solution!
And can someone do something about these traffic-jams too?
Not “somone” but हम
बनाए हाथोयार खुद और दिए ज़ख़्म खुद ही को
मरहम भी अब हम ही को बनाना और लगाना है
है समाज में अजब सी एक – सर्दी, सरदर्द और नाक भी बंद
मिलेंगे दोस्त ऐसे भी कहेंगे जो –
“कुछ लेते क्यों नहीं ..बस लगाओ एक दम , मिट जाएँ सारे ग़म”
नहीं ! नशे में बदहवास ये नहीं है वो समाधि
आँखें तो उनकी भी होंगी खुली बुद्ध सी ही आधी
पर ना होगी उनमें वो चमक, वो क्रांति , वो प्रशांत सी आँधी
चेहरे पे खुशी दिखती भर होगी
पर छवि ना होगी आनंद छलकाती
इस बंधन का इलाज नहीं LSD और Marijuana है
आज ख़ुद से ख़ुद को जिताना है
और ख़ुदा ही होकर दिखलाना है
आज के दर पे वो माज़ी खटखटाता है सुनो
पैग़ाम ये के बदहवासी, खून-ओ-शोर-ओ-गुल हो कम
फिर जलानी होगी शमा है दीवाना गर हिंद पे
कमर कस ले ऐ सरफ़रोश, बाँध ले सर पर कफ़न
वन्दे मातरम..वन्दे मातरम (background choir vocals)
मुट्ठी में मिट्टी , माथे पे रंगे-ए-लहू लिये इस बार लें फिर वो क़सम
वक़्त की ज़ंजीरों में अब ना तोड़ते रहना है यूँ दम
घड़ी है ये आज वही , होंगे फिर आज़ाद हम
समय और सीमाओं के हों पार हम
हों अनादि.. अनंत.. अखंड का विस्तार हम
हों अनादि.. अनंत.. अखंड का विस्तार हम
वन्दे मातरम..वन्दे मातरम (background choir vocals)