वो जवानियाँ
वो निशानियाँ, वो कुर्बनियाँ बेटों की..
याद आई तो धरती नम हुई, याद आई तो धरती नम हुई,
वो जवानियाँ, वो ज़िंदगानिीयँ बेटों की…
याद आई तो धरती नम हुई..याद आई तो धरती नम हुई.
वो पल थे, सपने जब उनके बुलंदियों पर थे
वो दिन थे जब वो अल्हड़ खुशनुमा रंगीन थे
हँसी की गूँज से रातें थी गुलशन, दिन बहार थे
अचानक.. यकायक… चीख मा की सुन के कदम वो थम गये
महकी फ़िज़ायें छोड़ शूलों पे चढ़ गये… तो फिर से…..
वो निशानियाँ, वो कुर्बनियाँ बेटों की..
याद आई तो धरती नम हुई, याद आई तो धरती नम हुई,
वो जवानियाँ, वो ज़िंदगानिीयँ बेटों की…
याद आई तो धरती नम हुई..याद आई तो धरती नम हुई.